महावीर स्वामी का जीवन परिचय | Mahavir Swami Biography in Hindi

Aman Shukla
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 महावीर स्वामी का जीवन परिचय | Mahavir Swami Biography in Hindi, Jivan Parichay


महावीर स्वामी जीवनी: नमस्कार दोस्तों! हमारे इस भारतवर्ष की पावन धरा पर अनेकों महापुरुषों ने जन्म लिया है। हमारे देश में अलग- अलग धर्मों का विकास भी हुआ है इन्हीं धर्मों में से एक धर्म है- जैन धर्म । जैन धर्म में कुल 24 तीर्थंकर हुए हैं। महावीर स्वामी जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर थे। इन्हें लगभग 12 वर्षों की कठिन तपस्या करने के बाद ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।


Mahavir Swami biography in Hindi
Mahavir Swami Jivani



इस लेख में महावीर स्वामी के जीवन परिचय, उनका जन्म, प्रारंभिक जीवन, विवाह, तपस्या, उपदेश आदि के बारे में संपूर्ण जानकरी दी गई है। हमें आशा है कि इस लेख को पढ़ने के बाद आपको महावीर स्वामी के जीवन परिचय (Mahavir Swami ka Jivan Parichay) के बारे में सभी जानकारी मिल जायेगी। 


Mahavir Swami Biography in Hindi


नाम 

महावीर स्वामी

उपनाम

वर्धमान,वीर, अतिवीर, सन्मति

जन्म- तिथि

ईसा से 599 वर्ष पूर्व

जन्म- स्थान

कुंडग्राम, वैशाली

पिता का नाम 

राजा सिद्धार्थ

माता का नाम 

रानी त्रिशला

शिक्षाएं

अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह

प्रसिद्धि 

जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर

मोक्ष

527 ईसा पूर्व

पत्नी

यशोदा

पुत्री

प्रियदर्शनी

उम्र (Age) 

72 साल

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महावीर स्वामी जन्म और प्रारंभिक जीवन

भगवान महावीर स्वामी का जन्म ईसा से भी 599 वर्ष पूर्व में वैशाली के निकट कुंडग्राम में हुआ था। इनके पिता का नाम राजा सिद्धार्थ और माता का नाम त्रिशला था। महावीर स्वामी के बचपन का नाम वर्धमान था। इनके अन्य नाम वीर, अतिवीर और सन्मति हैं। महावीर स्वामी का जन्म उस समय हुआ था जब चारों तरफ हिंसा, पशु बलि, जात- पात आदि बुराइयाँ अपनी चरम सीमा पर पहुँच गयी थी। ऐसा माना जाता है कि जैन धर्म के 23 वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ के मोक्ष प्राप्त करने के बाद लगभग 188 वर्ष के बाद महावीर स्वामी का जन्म हुआ था।


महावीर स्वामी का पारिवारिक जीवन

ऐसा माना जाता है कि महावीर स्वामी खुद शादी नहीं करना चाहते थे क्योंकि वह एक ब्रह्मचारी थे परंतु उनके माता-पिता उनकी शादी करवाना चाहते थे। ऐसे में महावीर स्वामी ने अपने माता-पिता की बात मानी और उनका विवाह यशोदा नामक स्त्री के साथ हुआ, स्वामी जी का यह विवाह श्वेतांबर परंपरा के अनुसार हुआ था। बाद में इनकी एक पुत्री भी हुई जिसका नाम प्रियदर्शनी रखा गया था प्रियदर्शनी का विवाह राजकुमार जमाली के साथ हुआ था।


महावीर स्वामी की तपस्या

लगभग 30 वर्ष की आयु में महावीर ने सांसारिक मोह माया को छोड़कर संपूर्ण संसार से अलग होकर अपना राज त्याग दिया था और सन्यासी रूप धारण करके ज्ञान की खोज में निकल पड़े थे 12 वर्षों की कठिन तपस्या करने के बाद महावीर स्वामी जी को ज्ञान प्राप्त हुआ जैन धर्म में दो संप्रदाय होते हैं एक श्वेतांबर संप्रदाय और दूसरा दिगंबर महावीर स्वामी जी ने दीक्षा लेने के कुछ समय तक श्वेतांबर परंपरा के अनुसार श्वेत वस्त्र धारण किया लेकिन उसके बाद उन्होंने दिगंबर परंपरा को अपनाया और निर्वस्त्र होकर ज्ञान की प्राप्ति के लिए तपस्या करने लगे थे  इन्होंने बहुत कठिन तपस्या की और अपनी तपस्या कल के दौरान यह ज्यादातर मौन ही रहते थे।



महावीर स्वामी की शिक्षा और उपदेश

भगवान महावीर स्वामी ने सत्य और अहिंसा को मनुष्य का सबसे बड़ा नैतिक गुण बताया है उनके अनुसार हमें दुनिया की समस्त आत्माओं को एक जैसा देखना चाहिए हमें दूसरों के प्रति वही व्यवहार और वही आचरण रखना चाहिए जो हमें अपने लिए पसंद होता है महावीर स्वामी का मुख्य सिद्धांत ‘जियो और जीने दो’ था।


जैन धर्म ग्रंथो के अनुसार केवल ज्ञान की प्राप्ति करने के बाद महावीर स्वामी जी ने अलग-अलग जगह पर उपदेश देना प्रारंभ कर दिया था। महावीर स्वामी के 11 शिष्य थे जिनमें सबसे प्रथम इंद्रभूति थे।


महावीर स्वामी जी कहते हैं “मैं सब जीवों से क्षमा चाहता हूंँ। जगत के सभी जीवो के प्रति मेरा मैत्री भाव है। मेरा किसी से बैर नहीं है। मैं सच्चे हृदय से धर्म में स्थिर हुआ हूंँ। सब जीवों से मैं सारे अपराधों की क्षमा मांगता हूंँ। सब जीवों ने मेरे प्रति जो अपराध किए हैं उन्हें मैं क्षमा करता हूंँ।


महावीर स्वामी जी ने कहा है कि “मैंने अपने मन में जिन-जिन पाप की वृत्तियों का संकल्प किया हो, वचन से जो -जो पाप वृत्तियाँ प्रकट की हो और शरीर से जो जो पाप वृत्तियाँ की हो, मेरी वे सभी पाप वृत्तियाँ विफल हो। मेरे वे सारे पाप मिथ्या हों।


महावीर स्वामी के पाँच महाव्रत


महावीर स्वामी जी ने केवल ज्ञान प्राप्त करने के बाद दुनिया को सत्य और अहिंसा का पाठ पढ़ाया उन्होंने अहिंसा और सत्य को सबसे बड़ा नैतिक गुण बताया। महावीर स्वामी जी ने जैन धर्म के पांच मुख्य सिद्धांत बताएं जिन्हें पांच महाव्रत कहा जाता है जो कि इस प्रकार से हैं-

  • अहिंसा

  • सत्य

  • अपरिग्रह

  • अस्तेय

  • ब्रह्मचर्य


महावीर स्वामी के अनुसार अहिंसा, संयम और तप ही धर्म है। महावीर जी कहते हैं कि जो धर्मात्मा है, जिसके मन में सदा धर्म रहता है, उसे देवता भी नमस्कार करते हैं। महावीर स्वामी जी ने अपने प्रवचनों में धर्म, अहिंसा, सत्य, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह और क्षमा पर सबसे अधिक जोर दिया है।


महावीर स्वामी जी को मोक्ष प्राप्ति

महावीर स्वामी जी को 527 ईसा पूर्व में 72 वर्ष की आयु में बिहार राज्य के पावापुरी नामक स्थान पर कार्तिक कृष्ण अमावस्या को मोक्ष की प्राप्त हुई। पावापुरी नामक स्थान पर एक जल मंदिर है इसके बारे में कहा जाता है कि इसी स्थान पर महावीर स्वामी जी को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी।


जैन धर्म के 24 तीर्थंकर की सूची 

जैन धर्म में ऐसा माना जाता है कि समय-समय पर दुनिया में जब हिंसा पशु बलि जात-पात आदि भेदभाव बढ़ जाते हैं तो तीर्थंकरों का जन्म होता है। जैन धर्म के कुल 24 तीर्थंकर हुए हैं जिनके नाम नीचे दिए गए हैं-

  • ऋषभदेव

  • अजितनाथ

  • संभवनाथ

  • अभिनंदन नाथ

  • सुमति नाथ

  • पद्मप्रभ

  • सुपार्श्वनाथ

  • चंद्रप्रभ

  • सुविधिनाथ

  • शीतलनाथ

  • श्रेयांसनाथ

  • वासुपूज्य

  • विमलनाथ

  • अनंतनाथ

  • धर्मनाथ

  • शांतिनाथ

  • कुंथुनाथ

  • अरनाथ

  • मलिनाथ

  • मुनिसुव्रतनाथ

  • नमिनाथ

  • नेमिनाथ

  • पार्श्वनाथ

  • महावीर


निष्कर्ष (Conclusion) 

हमें आशा है कि इस लेख के माध्यम से आपको भगवान महावीर स्वामी जी के जीवन परिचय (Mahavir Swami Jivani in Hindi) के बारे में संपूर्ण जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के लेख और पढ़ने के लिए आप हमारे व्हाट्सएप चैनल से जुड़ सकते हैं। 



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FAQs (Mahavir Swami ka Jivan Parichay) 


महावीर स्वामी का असली नाम क्या है ?

महावीर स्वामी का असली नाम वर्धमान है ।

महावीर स्वामी का दूसरा नाम क्या था?

महावीर स्वामी जैन धर्म के 24 में तीर्थंकर थे। बचपन में इनका नाम वर्धमान था उनके अन्य नाम वीर, अतिवीर, महावीर और सन्मति था।

महावीर का जीवन और उपदेश क्या है?

महावीर स्वामी जी ने जैन धर्म में पांच महत्वपूर्ण सिद्धांत बताए हैं जो की अहिंसा,सत्य,अपरिग्रह,अस्तेय और ब्रह्मचर्य है।

भगवान महावीर जी का चिन्ह क्या है?

महावीर जी का प्रतीक चिन्ह सिंह है ।

महावीर स्वामी की पत्नी का नाम क्या है?

महावीर स्वामी जी की पत्नी का नाम यशोदा था जिससे इन्होंने श्वेतांबर परंपरा के अनुसार विवाह किया था ।

महावीर स्वामी का शिष्य कौन था?

महावीर स्वामी के प्रथम शिष्य जमाली थे जो की रिश्ते में उनके दामाद थे ।

जैन धर्म कितना पुराना है?

जैन धर्म संसार के सबसे पुराने धर्म में से एक है जैन धर्म की उत्पत्ति लगभग 25 साल पहले भारत में हुई थी।

जैन धर्म में हाथी किसका प्रतीक है?

जैन धर्म में हाथी श्री अजीत नाथ का प्रतीक है।

महावीर स्वामी की बेटी का नाम क्या था ?

महावीर स्वामी की बेटी का नाम प्रियदर्शनी था।



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